उन्हें लगता है
वे खिलाड़ी हैं
शतरंज की बिसात के -
मोहरों को इधर-उधर चलाकर
शह और मात की खुशफहमी में पड़े हैं।
चाल चलनी है
पैदल को पीटना है
हाथी को आगे बढ़ाना है
ऊँट को बचाने के लिए
घोड़े को बीच में रखना है।
रहम आता है उनकी नादानी
पर कोई कठपुतलियों का
नाच नचा रहा है
उन अनजान महारथियों को।
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अकाट्य और सार्वजनीन सत्य ...
ReplyDeleteस्वागत बलोग जगत में,नववर्ष की मंगलकामना ।
ReplyDeleteबहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
ReplyDeleteSanjay kumar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com