वो कहता था : जीना नहीं चाहता
डॉक्टर कहते थे : इलाज हो नहीं सकता
हम सब -उसके रिश्तेदार- भी परेशां थे
जब उसको बुलावा आ गया वक़्त का
वो नया साल ( २०१० ) मनाने
हम सबको इस पुरानी दुनिया में छोड़कर
अपने निजधाम चला गया
( यह दुनिया तो आखिर सराय ही है न मुसाफिरों के लिए)
बिछुड़ने का दुःख तो होगा ही
अपने उस प्यारे भैया का -
जिसे मैं अब देख नहीं सकती
जिसे मैं अब सुन नहीं सकती
जिसे मैं सुना नहीं सकती ( अपना दर्द )
जिसे मैं में छू नहीं सकती
वो जिसके संग बीता था बचपन
साथ की थी पढाई
शरारतें, शिकायतें
रूठना और मनाना
और कभी-कभार लड़ाई भी
वो समझता था मेरा मन
आखिर भाई था मेरा -
सपनों में आज रात भी आया था
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kya kavita hai bhai manana padega
ReplyDeleteshabdon main kai bhavnaon ko vyakt kiya hai aapne
krapya mera blog visit karein aur tippaniyon ke roop main mera margdarshan karein
dhanyavaad
aapka
devey
deveyrathore.blogspot.com
kahani1999.blogspot.com
bahut hi dard bhari hai bhagwan unki aatma ko shanti de
ReplyDeleteमार्मिक///
ReplyDeleteसमय और नियति के आगे हम सब हारे हैं.
nice
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