Friday, December 21, 2012

एक बीमार सौ अनार

पार्टी में सब चल रहा था  ठीक
साहब को आ गई अचानक छींक
अफरा तफरी मच गई
किसी ने जेब से रूमाल निकाला
कोई अखबार से पंखा झेलने लगा
कोई दौड़कर पानी की बोतल लाया
किसी ने डॉक्‍टर को मोबाइल मिलाया
चारों तरफ खबर फैल गई
लोग मिलने आने लगे
पपीते और अनार लेकर
फूलों के गुलदस्‍ते लेकर
दुआयें कर रहे थे अब सैकड़ो हाथ
आखिर वो थे दफ्तर के बड़े साहब !

Wednesday, December 12, 2012

नम्‍बर गेम और मैजिक फिगर

गणित बहुत महत्‍वपूर्ण विषय है
इसके समुचित ज्ञान के बिना
कोई इंजीनियर नहीं बन सकता  
बिजनेस नहीं चलाया जा सकता
संसद भी नहीं चल सकती ,  
जुगाड़ और तिगड़मबाजी के दौर में
समझौता करने के लिए
तालमेल बैठाने लिए
निहायत जरूरी है
समीकरण और अंकगणित की जानकारी
मैनेजमेंट और मैनीपुलेशन के लिए ,   
किसको खरीदना है कितने में
किसको बेचना है कितने में
किसके अंक में बैठना है
किसके संग रहना सोना है
किसको इफ्तार पार्टी में बुलाना है
मुस्लिम भाई को कहां से टिकट देना है
नफा-नुकसान का हिसाब लगाना है
काम आ सकने वालों से ही रिश्‍ते बनाने है ,  
इंसटैंट और फटाफट के इस जमाने में
कोई किसी का पक्‍का दोस्‍त नहीं होता
वक्‍त पे जो आज हमारे काम आ गया
बस वो ही अपना सगा और सखा है
भाई- बहनों ! हमारा तो यही नारा है
मैं तुम्‍हें नोट दूंगा - तुम मुझे वोट देना
मैं तुम्‍हें बचाऊंगा -  तुम मुझे बचा लेना।







12.12.2012

बारहवें महीने की
बारह तारीख को
ठीक बारह बजकर
बारह मिनट और
बारहवें सेकेंड में
अगर डिलीवरी हो भी गई
तो क्‍या जादुई हो जायेगा
वो नवागन्‍तुक शिशु
या कोई मर गया
ऐन इसी वक्‍त
तो वो तथागत हो जायेगा
दुनिया न जाने कब बनी थी
न जाने कब तक चलेगी
पर दुनिया के अचानक
लुप्‍त हो जाने की खबर
रोमांच पैदा नहीं करती
बस अपना दिल बहलाने को
इक्‍कीसवीं शताब्‍दी में
बारहवीं शताब्‍दी की सोच का
यह खयाल अच्‍छा लगता है ।

Friday, December 7, 2012

हाईब्रिड

चौकोर तरबूज
गोल केला
संतरे जैसे नींबू
लौकी- सी भिंडी
बिल्‍ली जैसा चूहा
औरत- सा आदमी
आदमी जैसा कम्‍प्‍यूटर !

सावधान ! हम आ रहे हैं

हम ग्‍लोबल हैं
तुम लोकल हो
हम ही केंद्र में हैं
तुम तो परिधि हो
हमें पूरा हक है
तुम्‍हें लूटने का
तुम्‍हारा फर्ज हैं
खुद को सौंप दो
हमारे पास तकनीक हैं
तुम्‍हारे पास आबादी है
तुम्‍हारे लड़के-लड़कियां
टाई और स्‍कर्ट पहनकर
तुम्‍हें ही बेचेंगे
हमारे स्‍टोर से सामान
सुंदर पैकिंग में
पहले हर माल सड़क पर  मिलता था
अब हर सड़क पर हमारा मॉल खुलेगा !















Thursday, December 6, 2012

भगवा और काला

दिसम्‍बर के आते ही
ठंड तेज होने लगती है
जख्‍म हरे हो जाते हैं
चाहे संयोग ही हो
बीस बरस पहले
संविधान के निर्माता की
पुण्‍य-तिथि पर ही
घर्मनिरपेक्षता को भूलकर
सरकारी तंत्र ने बखूबी
दंगाइयों का साथ दिया
मस्जिद को तोड़ने में
वैसे कोई फर्क नहीं पड़ता
तारीख , साल जगह का
चौरासी - बानवे या 2002
दिल्‍ली, अयोध्‍या या गोघरा
सरकारों ने धोखा ही दिया है
किये वायदों को न निभाकर
जिम्‍मेदारी से मुंह मोड़कर
लोगों का यकीन तोड़कर  ;
मुसलमान या ईसाई
नहीं बन सकते सब
न ही सबको हिन्‍दू
बनाया जा सकता है
रंगबिरंगे फूलों से ही
बगीचा सुंदर बनता है ।

रघुपति राघव राजा राम

जमीन तो बनी थी
लोगों के रहने के लिए
हड़प कर जमींदारों ने
उसके दाम बढ़ा दिए
राजाओं ने महल बनाये
राजपुरोहित नियुक्‍त किये
मंदिर और मस्जिद बनवाये
पंडित , ज्ञानी और मौलवी
बहुत ताकतवर हो गये
वे सियासत करने लगे
तोडने और बांटने की ,
जमीन के इस टुकड़े की
दास्‍तान भी कुछ ऐसी ही है
खींचकर लक्ष्‍मण-रेखा कोर्ट ने
घोषित कर दिया उसे
विवादित स्‍थल
वक्‍त गुजरता जा रहा है
अर्थ हावी है घर्म पर
लगता है अब
कोई बाहरी ताकत ही
पहेली सुलझा पायेगी
विदेशी निवेश की खातिर
खुदाई के लिये
प्रापर्टी ट्रांसफर करवाकर
कोई मल्‍टीनेशनल कम्‍पनी
सरयू के पानी को
रामामृत बनाकर बिकवायेगी ।