Tuesday, January 19, 2010

पंचवर्णीय बसंत

(1) आज
कैलेंडर में लिखा है
आज बसंत-पंचमी है
इसलिए मान लेता हूँ
बसंत आ गया है
ठीक उसी तरह जैसे
टी.वी. और अखबार में
अपने ही शहर का
तापमान देखकर
ज्‍यादा गर्मी या ठंड लगती है।

(2) ऋतुराज

मौसमों का बादशाह है
इसीलिए शायद अमीरों का ही
होता है बसंत अब
और त्‍यौहारों की तरह
जिन्‍हें बाजार ने हड़प लिया है
ठीक उसी तरह जैसे
आज के राजाओं (नेता-व्‍यापारी-नौकरशाह-बाबा) ने
जनता की खुशियों को।

(3) रंग
पीले रंग का दिन है आज
फूल, मिठाई, कपड़े – सभी पीले
तो या तो तू पी ले
या फिर येलो कलर की गाड़ी में बैठकर
उत्‍सव मना ले।
ठीक वैसे ही
जैसे सफेद साड़ी पहनकर
वो खुद को पवित्र और शांत समझती है
जैसे हरे रंग की लौह-पटलें
रास्‍तों और बस स्‍टैंडों
पर लगाकर ग्रीन किया जा रहा है
राजधानी की सड़कों को
और लाल रंग का झंडा लेकर
वो इन्‍कलाबी बन जाते हैं
रंग- दे-बसंती गीत गाते हुए।
(4) माली

उसका भी है बसंत थोड़ा-सा
जिसने फूलों की पौध लगाई
और उन्‍हें संभाला
बगीचे की मालिकन के लिए
जो आज बहुत खुश है
जूड़े में पीले फूल लगाकर।

(5) उत्‍सव

पथ में नहीं दिखा वो नजारा
जो किताबों में पढ़ा है
जो गीतों में सुना है
स्‍कूल जाते हुए बच्‍चों की
यूनिफार्म भी पीले रंग की नहीं है
और न ही उनकी प्रेयर में सरस्‍वती का जिक्र है
इसलिए कहता हूँ
आज बसंत पंचमी नहीं है।
बस, एक और दिन है
खुशफहमी का
कि नया मौसम आ गया
और अंत कभी होगा नहीं
गुलामी का, गरीबी का
जिनसे चेहरे पीले पड़े हैं उनके
क्‍लाइमेट-चेंज की खबरों के शोर में
बसंत न जाने कहॉं खो गया,
अरे ये लो …बस आ गयी
चलो चलें बैठकर इसी में
बसंत मना लें,
प्‍लास्टिक के फूलों का
गुलदस्‍ता गोद में रखकर।

3 comments:

  1. kavita is art of words that explain the feeling of all senses, intellect and manah. And kavi is beyond all powers by the power of words.
    K G Misra





















    k

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  2. जिन्‍हें बाजार ने हड़प लिया है
    ठीक उसी तरह जैसे
    आज के राजाओं (नेता-व्‍यापारी-नौकरशाह-बाबा) ने
    जनता की खुशियों को।
    ..........very nice.

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  3. jab raam jee ki bas aa jati hai to bas ant aa hi jata hai

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