आज अचानक
मैंने गौर से देखा
खिले हुए पुष्प को
और सोच इसके
अतीत के अंकुर के बारे में
मन ही मन मुस्कराया।
हॉं, कहीं-न-कहीं
कभी-न-कभी
आरम्भ होता है जीवन – इसी अंकुर से।
न स्वयं इसको पता है
न प्रकृति को -
भविष्य जो है
अनिश्चित और अत्यंत रहस्यपूर्ण
पर फिर भी आशा का
आधार है यह अंकुर
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भविष्य जो है
ReplyDeleteअनिश्चित और अत्यंत रहस्यपूर्ण
पर फिर भी आशा का
आधार है यह अंकुर
सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई