Tuesday, January 31, 2012

लेफ्ट - राइट - सेंटर

हम ,
भारत के लोग -
किसको चुनें
संविधान चलाने को ?
हाथी का कद छोटा है
हाथ काम नहीं करते
कमल कीचड़ में सना है
लालटेन में तेल नहीं है
दरांती की धार कमजोर है
साइकिल के टायर खराब हैं
तराजू के पलड़े विषम है
प्रतीकों में रखा क्‍या है !

Tuesday, January 10, 2012

हैप्‍पी बर्थ-डे

कहते हैं
मेरे माता-पिता ,
रिश्‍तेदार और सरकारी कागज कि
आया था मैं धरती पर
बयालीस साल पहले -
यानी हो गया मै आज
42 ईअर ओल्‍ड -
इतना बूढा़ और पुराना मॉडल ,
कोई पड़ाव-सा लगती है
हर बीतते वर्ष की
यह तारीख
दिलाती याद
मौत से कम हुई
दूरी की
फिर भी
जयंती जैसे उत्सव ही
दिला पाते हैं निजात हमें
जिंदगी की दौड़ और ऊब से
थोड़ी-बहुत ,
आखिर कोई मौका भी तो चाहिए
साथ उठने-बैठने का :
रोज तो नाच-गा नहीं सकते ,
यह जरूरी तो नहीं
सिर्फ बच्चे ही जन्म-दिन मनाएं
अपने बूढ़े माँ-बाप को हम
हमेशा बच्चे ही लगते हैं।

Friday, January 6, 2012

मां

कल रास्‍ते मे मुझे
मिला एक आदमी
हट्टा - कट्टा नौजवान
लेकिन चेहरे से परेशान ।
घबराया हुआ सहमा हुआ
मिट्टी में कुछ टटोल रहा था ,
इधर- उधर डोल रहा था
मन ही मन कुछ बोल रहा था ।
मैंने पूछा - कुछ गुम हो गया क्‍या
हाँ , बहुत ही कीमती चीज ।
रूपया पैसा ? नहीं
उससे भी कीमती चीज
सोना चांदी ? नहीं
उससे भी कीमती चीज
हीरे मोती ? नहीं
उससे भी कीमती चीज !
यह कीमती चीज क्‍या हो सकती है
सोच-सोच कर मैं हैरान थी , और
खोज- खोज कर वह परेशान था ।
मैने कहा –
कुछ तो बतलाओ
पहेलियां मत बुझाओ
वह बोला - कैसे बतलाऊं ?
मेरी तो जुबान ही सुन्‍न हो गई है क्‍योंकि
मेरे ही घर से मेरी मां गुम हो गई है ।
‘ मां ‘ का नाम सुनते ही
मैं स्‍तब्‍ध रह गई
मूर्ति की भांति वहीं
जमीन में गढ़ी रह गई ।
सचमुच मां तो बहुत ही अमूल्‍य है
इसका न कोई तुल्‍य है
मैने पूछा-
अब घर में और कौन कौन हैं ?
वह बोला -
मेरी सौतेली मां और स्‍वार्थी बहन-भाई
मेरे ही घर में इन्‍होंने
विदेशी औरत को जगह दिलाई
इतना ही नहीं - मेरी बूढ़ी मां की
खिल्‍ली भी उड़ाई ।
उसे तो बडों का आदर सम्‍मान ही नहीं
छोटों को भी you ( तुम ) और
बडों को भी you (तुम ) कहती है
मामा हो या चाचा , मौसी हो या बुआ
सभी को अंकल-आंटी कहती है
मेरी मां तो बहुत तहजीब वाली है
उसकी तो हर बात निराली है
छोटों को भी आप , बड़ों को भी आप कहती है
धनवान हो या फकीर , सबके साथ
मिलजुल कर रहती है
मैने कहा अच्‍छा अब यह तो बताओ
तुम्‍हारी मां दिखने में कैसी है
उसका नाम क्‍या है ? और
उसकी पहचान क्‍या है ?
वह बोला
मेरी मां भले ही बूढ़ी है , लेकिन
अभी भी खूबसूरत है ,
हिन्‍दोस्‍तान को उसकी बहुत ही जरूरत है
उसके माथे पे गोल बिन्‍दी है
वह हम सबकी राष्‍ट्रभाषा है और
उसका नाम हिन्‍दी है ।
( लक्षविन्‍दर जी की एक कविता जो अपने ब्‍लाग पर लिख रहा हूं पढ़वाने के लिए )

Tuesday, January 3, 2012

खुशनुमा नया कान

नये साल पर
आया मुझे संदेशा
दीपावली की शुभकामना का -
फारवर्ड और मेल- लिस्‍ट के
इस गतिमय युग में
किसे फुरसत है
यह देखने की कि
किसको भेज रहें हैं
मैसेज और क्‍यूं !
वही कापी बारम्‍बार
पढ़ कर हो गया बोर
भूल जाता मैं नाम देखकर
अपना मैसेज भेजा था उसे
या अब जवाब लिखना है ,
बजता रहा टूं- टूं
वो खिलौना
देर रात तक -
उसे चुप कराकर
मैं सो तो गया
फिर भी मुआ
वो कांपता रहा
रजाई में -
शायद
31 दिसम्‍बर की
ठंड से ।
हैप्‍पी न्‍यू ईअर !