Sunday, January 31, 2010

अमी गांधी बोल्छे

जब मैं जिंदा था
अपने अन्दर की आवाज़ सुनकर-
वही लिखता था
वही करता था
वही कहता था -
जो मुझे उस वक़्त
सच और ठीक लगता था
आज मैं सुनता हूँ
बाहर की आवाजें
जिन्होनें मुझे या तो भगवान बना दिया है
गीता हाथ में पकड़ाकर
महात्मा और बापू से नवाज़ा हुआ
लाठी-चश्मे का बुत
या फिर शैतान
इतिहास की हर घटना के लिए ज़िम्मेदार -
भगत सिंह की फांसी
अम्बेडकर का समझौता
बोस की खिलाफत
जिन्ना का तुष्टीकरण
नेहरु को गद्दी-
हाँ, मैं थोडा जिद्दी जरूर था
पर गुंडा नहीं
जो मेरे नाम के आगे
गिरी,गर्दी या बाज़ी लगाकर
मुझे बना दिया
मुन्ना मोहन से तुमने
गाड से मुझे विशेष प्रेम था
इसलिए ही शायद गोडसे ने ही
मुझसे “ हे राम “ कहलवाया
मैं दोषी हूँ
हरिलाल और मनु-बेन
तुम पर प्रयोग करने का
मुझे माफ़ करो
मैं साधारण इंसान था
तुमने मुझे महात्मा बना दिया
न मुझे राजपाट की लालसा थी
न ही मुझे राजघाट चाहिए
न मेरी वजह से आज़ादी बदली
न ही मेरी वजह से दुनिया बदलेगी
मुझे मत घसीटो
संस्थाओं , तुलना और बहसों में
मेरे नाम को मत भुनाओ
मैंने वही किया
जो मुझे जंचा
तुम वही करो
जो तुम्हें जंचे
हर एक का अपना सच होता है
हर एक का अपना पथ होता है
बस लोकतंत्र में अपनी ज़िम्मेदारी समझो
ईमानदार इंसान बनो
मुझे पढ़कर चर्चा करने से क्या होगा ?
बन्दर ३ या ५ हो सकते थे
व्रत भी नौ ग्यारह या तेरह
कोई फरक नहीं पड़ता
लकीर मत पीटो
अपना सच तलाशो
इस बात का कोई मतलब नहीं
मैं होता तो इस कम्प्यूटर -युग में
क्या इन्टरनेट यूज करता ?
अहम् यह है कि तुम
जो अभी जिंदा हो
क्या करते हो ?
खुद को मुझसे सही या
मुझे आज गलत ठहराकर
तुम कुछ नहीं पाओगे
अपने आप से भागकर कहाँ जाओगे ?
तुम निश्चिन्त रहो
मैं दोबारा नहीं आऊंगा
और इतिहास शायद दोहराता भी नहीं
खुद को हूबहू
उसी ईसा,बुद्ध,नानक या फिर मुझे
देखकर धरती पर
तुम्हें भगवान से ज्यादा
भूत पर यकीन हो जायेगा
और सृष्टि की अनंतता से
यकीन उठ जायेगा
मैं तो अपना जीवन जी कर
जा चुका बरसों पहले
मेरे जैसे बनने की कोशिश मत करो
कोई किसी की कार्बन-कॉपी नहीं होता
अपने दीपक खुद बनो
एकला चलो
मुझे कब्र से बाहर मत निकालो
मुझे चैन से रहने दो
कोई सच अंतिम नहीं होता
यह व्यक्ति और वक़्त के साथ बदलता रहता है

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