Monday, January 18, 2010

अंकुर

आज अचानक
मैंने गौर से देखा
खिले हुए पुष्‍प को
और सोच इसके
अतीत के अंकुर के बारे में
मन ही मन मुस्‍कराया।
हॉं, कहीं-न-कहीं
कभी-न-कभी
आरम्‍भ होता है जीवन – इसी अंकुर से।
न स्‍वयं इसको पता है
न प्रकृति को -
भविष्‍य जो है
अनिश्चित और अत्‍यंत रहस्‍यपूर्ण
पर फिर भी आशा का
आधार है यह अंकुर

1 comment:

  1. भविष्‍य जो है
    अनिश्चित और अत्‍यंत रहस्‍यपूर्ण
    पर फिर भी आशा का
    आधार है यह अंकुर

    सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई

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