Tuesday, January 5, 2010

सीधे-सादे लफ्जों में

कितना मुश्किल है -
सादगी और ईमानदारी पर कविता लिखना
आज अहसास हुआ।
जब चारों तरफ माहौल हो
झूठ, दिखावे और धोखे का
देते हों सौगात प्‍यार से ठेकेदार
और लेते रहें बिना हिचक सरकारी सेवक :
मिठाई का डिब्‍बा दीपावली पर
नई-नवेली डायरी नव-वर्ष पर
होटलों में होती रहें मुलाकातें और
ऑफिस के फोन पर रात में लंबी बातें:
दलाली और समीकरणों की।
जब रिश्‍वत मांगनी न पड़ती हो
खुद ही मिल जाती हो
'' क्‍यू '' तोड़ने के लिए तत्‍काल सेवा की
फीस भी लीगल हो जाए
हर काम का दाम तय हो पहले से
अलिखित करार के रूप में:
काम हो जाएगा, दाम पहुँच जाएगा
काम करे जो दाम लेकर:
वह ईमानदार
काम न करे जो दाम लेकर भी:
वह बेईमान
जो काम करे और दाम भी न ले:
वह पागल।
कमाओ किसी भी तरह
बस कुछ हिस्‍सा दान कर दो
काले को सफेद करने के लिए
खूब जमकर खाओ और
पेट कम करने के लिए
थोड़ा प्राणायाम कर लो।
सचमुच बहुत मुश्किल है -
इस दौर में ऐसे विषय पर लिखना
क्‍योंकि : या तो इसे नैतिकता का प्रवचन
मानकर नहीं पढ़ा जाएगा
या इसके लेखक को सनकपन का प्रमाण-पत्र दे दिया जाएगा।
संवेदनाएं शून्‍य हो चुकी हैं
ना ही कोई कचोट होती है दिल को
माना और स्‍वीकारा जा चुका है
: सभी ऐसा करते हैं
: इतना तो चलता है
: यही तो विकास है
: यही तो बाजार है
दिमाग से दिल की दूरी बहुत बढ़ चुकी है
तर्क भावनाओं पर हावी है आज
आज के भागम-दौर में
कविता लिखना :
वो भी ऐसे सीधे-सादे विषय पर
वाकई बहुत मुश्किल है।

8 comments:

  1. बहुत मुश्किल है।

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

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  3. आज के भागम-दौर में
    कविता लिखना :
    वो भी ऐसे सीधे-सादे विषय पर
    वाकई बहुत मुश्किल है।
    Sahee kaha!
    Swagat hai!

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  4. Eemaandaree pe chalna adhik mushkil hai!
    Blogjagat me aapka swagat hai!

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  5. bahut badia hai
    yaha bhi ruke
    http://alkagoel14.blogspot.com/

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

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