Tuesday, February 2, 2010

अपने ही दुश्मन

मैं खड़ा था जूस की दुकान पर
एक दोस्त के साथ
दो गिलास बनाने का आर्डर देकर
पीछे से एक बुढ़िया आई
और चंद सिक्कों के लिए हाथ फैलाये
मैंने उससे पूछा जूस पियोगी
और उसके चेहरे पर ख़ुशी देखकर
तीसरे गिलास के लिए कहा
तो दुकान पर तैनात मजदूर ने
( वो मालिक तो कतई नहीं था )
नफरत की नज़र से देखा
क्यों होता है ऐसा वर्ग-संघर्ष
उन्हीं के बीच –
बेटे जनने के लिए
बहू को कोसती सास ,
मेकडोनाल्ड के गेट पर
अन्दर जाने से मुझे रोकता
मेरे कपड़ों को देखकर ,
अंग्रेजी किताबों के स्टाल पर खड़ा
हिंदी ही पढ़ सकने वाला सेल्स- बॉय
मेरे चेहरे को देखकर कहता
मन ही मन
" ये इंग्लिश की किताबें हैं "

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