Friday, May 7, 2010

हकीकत

सच क्‍या है
वो जो हम देखते हैं
वो जो हम सुनते हैं
वो जो हम महसूस करते हैं
शायद सब कुछ
शायद कुछ भी नहीं
क्‍यूँकि कुछ और भी
देख रही होती है आंखें
सुन रहे होते हैं कान
धुंधला होता है
मन का अक्‍स
अतीत की परत से,
निरपेक्ष होना वाकई
बहुत मुश्किल होता है ।

सच मीठा नहीं भी हो सकता
सच को बयान करने के लिए
रिहर्सल नहीं करनी पड़ती
सच सच ही होता है
नंगा , साफ और पारदर्शी
वो जो होता है - सो होता है।

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