Monday, May 3, 2010

बदलता मौसम

सनराइज और सनसैट
देखने जाते हैं दूर
टूर पर लोग
उन्‍हें अपने घर की छत से
सूरज देखने की आदत
जो नहीं रही।

दैनिक भास्‍कर पढ़कर
सब कुछ जानने की कोशिश में
वो सुबह घर के बाहर
उदय हो रहे भास्‍कर को
देखने से वंचित रह जाते है ।

सर ऊपर उठा कर
चल नहीं सकते वो गगन मे
उड़ते परिंदों को निहारने के लिए
जिनकी आवाजें सुनाई नहीं देती
ट्रैफिक के शोर में ।

शीतल बयार की सिहरन को
थोड़ा रूककर महसूस करने में
उन्‍हें डर लगता है
कहीं पीछे न छूट जाएं
जमाने की दौड़ मे।

अब तो बस
ओंधी , बाढ़ या तूफान का
इंतजार रहता है
कुदरत का नजारा
लूटने के लिए।

ऐसा ही रहा
तरक्‍की का सफर
तो मारूति गाडी की तर्ज पर
शब्‍दकोष से उड़ जाएगा
आसमानी रंग का नाम भी
हवा की तरह।

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