Monday, February 7, 2011

मां शारदे !

मेरे मन की वीणा को
संगीत के स्‍वरों से भर दो
विवेकी बना बुद्वि को
उसे श्‍वेत हंस जैसी कर दो
किताबे पढ़ता रहूं
कविताएं लिखता रहूं
ज्ञान की ज्‍योति जगाकर
स्‍व का मुझे सार दो
वाणी से गाता रहूं
तेरे ही गुण
ऐसा मुझे वर दो
करता रहूं सेवा हंसते हुए
उत्‍साह और ऊर्जा से
मुझको भर दो ।

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