Thursday, February 10, 2011

भूखे पेट भजन न होई

मेरे पास आया न्‍यौता
पाठ-कीर्तन का
जिसमें लिखा था
मोटे-मोटे अक्षरों में
“ अटूट लंगर भी बरसेगा “ ।

डिशेज की वैरायटी का
लंगर
बन गया है अवसर
गेट-टुगेदर का
पार्टी की शक्‍ल
अख्तियार करता हुआ :
पहले आमंत्रित गैस्‍ट और
वीआईपी को
खिलाते हुए ।

पुण्‍य है
लंगर खिलाना या
डोलचियों में भरकर
ले जाना घर
अमीर लोगों का ?

हां ,
यह बात जरूर है
कीर्तन सुनने के बाद
उसके शब्‍दों का असर
चाहे रहे न रहे
पर चलती रहती है
चर्चा भक्‍तों मे
कई दिन तक
“ उसके पाठ में लंगर बड़ा टेस्‍टी था “ !

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