Wednesday, February 9, 2011

कारीगर की कीमत

रात के ग्‍यारह बजें थे
ठंड पड़ रही थी -
लाला जी
ढूंढते फिर रहे थे
रेलवे स्‍टेशन पर
कल्‍लू हलवाई को
जो गंदी बनियान पहने
कड़ाही मे जलेबियां
छानता रहता था
उनकी स्‍वीट शॉप पर
और आज शाम को
चला गया था रूठकर
तनख्‍वाह कम मिलने की
वजह से ।

लाला जी को भी
दुकान के मशहूर
सुबह के नाश्‍ते की
बिक्री की फिक्र ने
उस रात
सोने नहीं दिया होगा ।

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