बारहवें महीने की
बारह तारीख को
ठीक बारह बजकर
बारह मिनट और
बारहवें सेकेंड में
अगर डिलीवरी हो भी गई
तो क्या जादुई हो जायेगा
वो नवागन्तुक शिशु
या कोई मर गया
ऐन इसी वक्त
तो वो तथागत हो जायेगा
दुनिया न जाने कब बनी थी
न जाने कब तक चलेगी
पर दुनिया के अचानक
लुप्त हो जाने की खबर
रोमांच पैदा नहीं करती
बस अपना दिल बहलाने को
इक्कीसवीं शताब्दी में
बारहवीं शताब्दी की सोच का
यह खयाल अच्छा लगता है ।
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