Thursday, July 4, 2013

रेडीमेड


 
 
 
 
 
 
 
 
 
जब पूछा मां ने
लंबे सफर पर जाते हुए -  
रास्‍ते के लिए बांध लेती हूं 
बीस परांठे और आलू की सब्जी " -  
मैंने कह तो दिया -  
रहने दो अब सब कुछ
रेडीमेड मिल जाता है -  
पर मैंने सोचा
सच तो है यही है :  
कोई तो बनाता ही होगा रोटी
कोई तो सिलता ही है कपड़े 
कहीं तो कूटे जाते हैं मसाले
कोई तो कंकड़ बीनता है चावलों से 
कोई पापड़ बेलता है - अचार डालता है
ताकि हमको मेहनत न करनी पड़े
मम्‍मी-दादियों के जमाने की ,  
मशीन सब काम नहीं कर सकती
न ही इनसे करवाया जाता है  
अक्‍सर मजदूर सस्‍ता मिल जाता है
आसमान से नहीं टपकतीं बाजार में
सुंदर पैकिंग वाली रेडीमेड चीजें ।