तुमने बना दिया राजघाट
मंदिर की तरह
जहां कर्मकांड करने लगे
मुझे श्रद्धांजलि देने का ;
रख दिया नाम सड़क का
एमजी रोड
जहां केवल शोर है
रौंदते हुए वाहनों का
कोई पदयात्री नहीं,
खोल कर संस्थाएं
मेरे नाम पर
वहां किताबें-फोटो जड़ दीं
मुझे म्यूजियम बना दिया -
जन्मतिथि को सरकारी छुट्टी
मरणतिथि को 11 बजे की रस्म ;
झूठ और हिंसा को
तरजीह देते हुये
रोज मेरा कत्ल करते हो
ठीक ही तो है
तुम अपने जिंदापिता की बात नहीं सुनते
तो मृत कागजीबापू की क्यूं मानोगे,
कुछ लोग तो और चालाक हैं
लगाकर मेरा उपनाम
अपने नाम के आगे
रोज भुना रहे हैं
आम आदमी के जजबात
मुझे प्रतीक बनाकर
समेट दिया है
चरखे और रामधुन में
पांच सौ के नोट में
कांग्रेस के वोट में ।
सटीक कथन ... उम्दा प्रस्तुति
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