पैरों की तो क्या
घुटने भी नहीं छूते
बस झूठे ही
प्रणाम कह लेते हैं
संस्कारी दिखने को
न नमस्ते मन से
न सलाम दिल से
दुआ और बधाई भी
फॉर्मल हो गये हैं
कैलकुलेशन के किसी
फार्मूले की तरह
तारीख दिन व समय को
सैट करके घड़ी में
मोबाइल और ईमेल से
ऐनवक्त पर
स्टैंडर्ड मैसेज भेज देते है ;
बची है बस यही तमीज
सॉरी , थैंक्यू और प्लीज !
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