गरीब ब्राहृमण सुदामा और
अमीर गोपाल कृष्ण
पढ़ते थे
एक ही स्कूली- आश्रम में
कृष्ण ने रिजर्वेशन नहीं मांगा
वरन मदद की
अपने गरीब दोस्त की
उनमें कोई लड़ाई न थी
न ही वो लिखते थे सरनेम
शर्मा-यादव सरीखे,
अगड़े-पिछड़े के चक्कर में
अगर मिल जाता आरक्षण
उस वक्त
गरीब को
तो आज सारे ब्राहृमण भी
सुदामा रख लेते उपनाम
शर्मा की जगह
क्योंकि आज
सरकारी नौकरियां हैं केक
और हिस्से का परसेन्ट
तय कर रही है
जन्म - वंशावली ।
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