सब चश्मा तो नहीं लगाते
न ही सभी चश्मा न लगाने वालों की
नजर दुरस्त होती है,
तीन चौथाई भरे हुए गिलास को
एक चौथाई खाली कहता है कोई
अपना-अपना नजरिया है.
नजर आता है
किसी को गरीब में अमीर
किसी को अमीर में फकीर
गूंगे की मजबूरी
मौनी की मजबूती है .
अपनी आंखे खुद चैक करो
सही नम्बर का चश्मा पहनो
तभी देख पाओगे साफ
नजारा कुदरत का
पूर्वाग्रह के रंगों से मुक्त।
इनसाइट का सपना
आईसाइट को हकीकत नजर आता है।
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सब चश्मा तो नहीं लगाते
ReplyDeleteन ही सभी चश्मा न लगाने वालों की
नजर दुरस्त होती है,
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
thodi english khatki par bhav lajawaab the...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
BAHUT KHUB
ReplyDeleteBADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT