Friday, March 12, 2010

घबराहट

वक्‍त गुजारने के लिए
अखबार में सुडोकू खेलते हैं
टीवी के रिमोट पर चैनल बदलते हैं
बिनबात पैर हिलाते रहते है
फोन पर बतियाते हैं
मेडिटेशन की मुद्रा मे बैठ जाते है
अरदास बुदबुदाते है
सोते हुए भी सपने देखते हैं
दिमाग के हर कोने को भर देना चाहते हैं
फिर क्‍यूँ कहा जाता है
खाली दिमाग शैतान का घर है ।
भरा दिमाग क्‍या भगवान का घर है ?
धीमे चलने से डर लगता है
दोड़ते रहने से थकान होती है
जिंदगी बड़ी अजीब है !

2 comments:

  1. बहतरीन रचना है जसवीर जी...वाह...बहुत सटीक बात की है आपने...बधाई..
    नीरज

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  2. बहुत सटीक बात की है

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