वक्त गुजारने के लिए
अखबार में सुडोकू खेलते हैं
टीवी के रिमोट पर चैनल बदलते हैं
बिनबात पैर हिलाते रहते है
फोन पर बतियाते हैं
मेडिटेशन की मुद्रा मे बैठ जाते है
अरदास बुदबुदाते है
सोते हुए भी सपने देखते हैं
दिमाग के हर कोने को भर देना चाहते हैं
फिर क्यूँ कहा जाता है
खाली दिमाग शैतान का घर है ।
भरा दिमाग क्या भगवान का घर है ?
धीमे चलने से डर लगता है
दोड़ते रहने से थकान होती है
जिंदगी बड़ी अजीब है !
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बहतरीन रचना है जसवीर जी...वाह...बहुत सटीक बात की है आपने...बधाई..
ReplyDeleteनीरज
बहुत सटीक बात की है
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