दो- तीन महीनों के बाद भी
वाजिब तनख्वाह नहीं देते
फैक्टरी के कर्मचारियों को
प्राइवेट लिमिटेड के मालिक
खुद सरकारी कंपनियों से
पेमेंट एडवांस में चाहते हैं
टैक्स की चोरी फर्जी रसीदें
सबको वे जमकर लूटते है
लागत और कीमत का है
उनके यहों नहीं कोई रिश्ता
बेहिसाब वे मुनाफा कमाते
निजी धंधे का हवाला देकर
कुछ भी पूछो नहीं हैं बताते
भरते टेंडर सब मिलजुल कर
कम्पटीशन को साफ झुठलाकर
सरकार का मजाक उड़ाते
मौज मनाते सबको नचाते ।
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