आज सुबह जब मैं दफ्तर पहुंचा
वर्कशाप के गेट पर भीड़ जुटी थी
सरकारी वर्करों की
जिनमें अक्सर पुरूष ही दिख रहे थे
नारे लग रहे थे जोरशोर से
हकों की मांग करते हुए
सिस्टम को गरियाते हुए -
पर दिहाड़ी पर घास काटने वाली औरतें
उसी गेट से अंदर काम पर जा रहीं थीं
उन्हें किसी ने नहीं रोका या समझाया
वो हड़ताल पर जाने का नहीं सोच सकती
क्यूंकि वे तो ठहरीं असंगठित और मजबूर
जो महंगाई की मार झेलते हैं
जिनके पेट कुछ भरे हों
वे ही और मांगते हैं ,
कोई आमरण अनशन पर बैठता है
खुद को मनवाने का इंतजार करते हुये
पर जब कोई आता नहीं बात करने
तो खुद ही तोड़ देता हे व्रत
वर्कशाप के गेट पर भीड़ जुटी थी
सरकारी वर्करों की
जिनमें अक्सर पुरूष ही दिख रहे थे
नारे लग रहे थे जोरशोर से
हकों की मांग करते हुए
सिस्टम को गरियाते हुए -
पर दिहाड़ी पर घास काटने वाली औरतें
उसी गेट से अंदर काम पर जा रहीं थीं
उन्हें किसी ने नहीं रोका या समझाया
वो हड़ताल पर जाने का नहीं सोच सकती
क्यूंकि वे तो ठहरीं असंगठित और मजबूर
जो महंगाई की मार झेलते हैं
जिनके पेट कुछ भरे हों
वे ही और मांगते हैं ,
कोई आमरण अनशन पर बैठता है
खुद को मनवाने का इंतजार करते हुये
पर जब कोई आता नहीं बात करने
तो खुद ही तोड़ देता हे व्रत
फेससेविंग के लिये
छोटा समझौता करते हुए
छोटा समझौता करते हुए
मन को कुछ समझाते हुए ,
कोई धरने पर बैठता है , कोई चीखता है
कहीं फेसबुकिया आंदोलन चलता है
लाउडस्पीकर पर चिल्लाने से
कोई धरने पर बैठता है , कोई चीखता है
कहीं फेसबुकिया आंदोलन चलता है
लाउडस्पीकर पर चिल्लाने से
दुकाने बंद करने से - गाडि़यां जलाने से
घुड़की और भौं- भौं से
कोई बात नहीं बनेगी
घुड़की और भौं- भौं से
कोई बात नहीं बनेगी
सरकारें बहुत बेशरम हैं
अब तो लड़ना होगा - अड़ना होगा
खिलाफत के जो हथियार भोथरे पड़ चुके
उनकी धार को पैना करना होगा
पर उनको साथ लेकर नहीं
जिनके पास खोने के लिये अभी बहुत कुछ है :
प्रमोशन - सेलरी - पोस्टिंग और ट्रांसफर !
अब तो लड़ना होगा - अड़ना होगा
खिलाफत के जो हथियार भोथरे पड़ चुके
उनकी धार को पैना करना होगा
पर उनको साथ लेकर नहीं
जिनके पास खोने के लिये अभी बहुत कुछ है :
प्रमोशन - सेलरी - पोस्टिंग और ट्रांसफर !
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