परसों था दो अक्टूबर
राष्ट्रपिता गांधी जी की
जन्मतिथि पर राष्ट्रीय अवकाश
सारे सरकारी ऑफिस और स्कूल - कालेज बंद
इस दिन कहीं कोई झंडा नहीं फहराया जाता
न ही है यह ईद- दीपावली-क्रिसमस
जैसा कोई त्यौहार
जिसे चाहे सब लोग न मनाएं
किंतु उस धर्म-समुदाय विशेष के
मानने वाले तो मना लेते हैं ,
जब मैंने पूछा अपने सहकर्मी से -
“ कैसे बितायी छुटृटी इस साल
बापू - शास्त्री के जन्म दिन की ? “
तो वे बोले -
“ सुबह खूब देर तक सोये
टी-शर्ट और जींस पहनकर
बाजार गए चाउमीन खाने
दोपहर बाद टीवी पर एक्शन मूवी देखी
गपशप मारी
नौकर को गरिआया
शाम को मंदिर टहल आए
वहां हनुमान जी की आरती सुनी “
मैंने मन ही मन कहा -
बहूत खूब बरखुरदार
तुमने गांधी के व्रतों की
खूब धज्जियां उडाईं
वो थोडा रूककर बोले -
” मंडे को होता 2 अक्टूबर
तो मजा आ जाता
वीक-एंड मिलाकर
हम घर ही चले जाते
मां- बाप से मिल आते “
परसों था दो अक्टूबर
राष्ट्रपिता गांधी जी की
जन्मतिथि पर राष्ट्रीय अवकाश
सारे सरकारी ऑफिस और स्कूल - कालेज बंद
इस दिन कहीं कोई झंडा नहीं फहराया जाता
न ही है यह ईद- दीपावली-क्रिसमस
जैसा कोई त्यौहार
जिसे चाहे सब लोग न मनाएं
किंतु उस धर्म-समुदाय विशेष के
मानने वाले तो मना लेते हैं ,
जब मैंने पूछा अपने सहकर्मी से -
“ कैसे बितायी छुटृटी इस साल
बापू - शास्त्री के जन्म दिन की ? “
तो वे बोले -
“ सुबह खूब देर तक सोये
टी-शर्ट और जींस पहनकर
बाजार गए चाउमीन खाने
दोपहर बाद टीवी पर एक्शन मूवी देखी
गपशप मारी
नौकर को गरिआया
शाम को मंदिर टहल आए
वहां हनुमान जी की आरती सुनी “
मैंने मन ही मन कहा -
बहूत खूब बरखुरदार
तुमने गांधी के व्रतों की
खूब धज्जियां उडाईं
वो थोडा रूककर बोले -
” मंडे को होता 2 अक्टूबर
तो मजा आ जाता
वीक-एंड मिलाकर
हम घर ही चले जाते
मां- बाप से मिल आते “
राष्ट्रपिता गांधी जी की
जन्मतिथि पर राष्ट्रीय अवकाश
सारे सरकारी ऑफिस और स्कूल - कालेज बंद
इस दिन कहीं कोई झंडा नहीं फहराया जाता
न ही है यह ईद- दीपावली-क्रिसमस
जैसा कोई त्यौहार
जिसे चाहे सब लोग न मनाएं
किंतु उस धर्म-समुदाय विशेष के
मानने वाले तो मना लेते हैं ,
जब मैंने पूछा अपने सहकर्मी से -
“ कैसे बितायी छुटृटी इस साल
बापू - शास्त्री के जन्म दिन की ? “
तो वे बोले -
“ सुबह खूब देर तक सोये
टी-शर्ट और जींस पहनकर
बाजार गए चाउमीन खाने
दोपहर बाद टीवी पर एक्शन मूवी देखी
गपशप मारी
नौकर को गरिआया
शाम को मंदिर टहल आए
वहां हनुमान जी की आरती सुनी “
मैंने मन ही मन कहा -
बहूत खूब बरखुरदार
तुमने गांधी के व्रतों की
खूब धज्जियां उडाईं
वो थोडा रूककर बोले -
” मंडे को होता 2 अक्टूबर
तो मजा आ जाता
वीक-एंड मिलाकर
हम घर ही चले जाते
मां- बाप से मिल आते “
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