Wednesday, April 13, 2011

मन चंगा तो कठौती गंगा

करते नहीं कद्र अपने माता- पिता की / वृद्धाश्रम मे समाजसेवा करने जाते हैं / रखते हैं मेड-सर्वेंट अपने घर पर / गुरूद्वारे का फर्श रोज सुबह धोते हैं / जानते हैं अफ्रीकन एनीमल्‍स के बारे में / अपनी गली के कुत्‍तों को कब देखते हैं / अपने रिश्‍तेदारों का जिन्‍हें पता नहीं / फिल्‍मी सितारों के वो बर्थडे मनाते हैं/ झांकते नहीं मन के अंदर कभी / मंदिर मे पूजा करने बेनागा जाते हैं / समझते हैं घ्ररवाली को नौकरानी / पड़ोसिन को महारानी मानते हैं जमाना ही कुछ ऐसा है ! हाथी तो यूँ ही बदनाम है बेचारा / इंसान के दांत ही है – दिखने के कुछ और , खाने के कुछ और !

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