छीलते हुए
प्याज की परतें
आ जाते हैं
आंखों में आंसू
धुंधलाते हुए उनको
कुछ देर के लिए
फिर पैनी हो जाती है
हमारी नजर
कचरा निकल जाने पर ,
खुद के केंद्र तक
पहुँचने के लिए भी
आवरण की परतों को
धीरे-धीरे ही सही
हटाना जरूरी है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
खुद के केंद्र तक
ReplyDeleteपहुँचने के लिए भी
आवरण की परतों को
धीरे-धीरे ही सही
हटाना जरूरी है ।
वाह वाह वाह...कितनी गहरी बात आपने सरलता से समझाई है...बधाई स्वीकारें
नीरज
बहुत बढ़िया ... मन पर पड़ा आवरण हटाये बिना खुद तक नहीं पहुंचा जा सकता ..
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDeleteचुने हुए चिट्ठे ..आपके लिए नज़राना
शुक्रिया जी |
ReplyDelete