Wednesday, June 1, 2011

सच की तह तक

छीलते हुए
प्‍याज की परतें
आ जाते हैं
आंखों में आंसू
धुंधलाते हुए उनको
कुछ देर के लिए
फिर पैनी हो जाती है
हमारी नजर
कचरा निकल जाने पर ,
खुद के केंद्र तक
पहुँचने के लिए भी
आवरण की परतों को
धीरे-धीरे ही सही
हटाना जरूरी है ।

4 comments:

  1. खुद के केंद्र तक
    पहुँचने के लिए भी
    आवरण की परतों को
    धीरे-धीरे ही सही
    हटाना जरूरी है ।

    वाह वाह वाह...कितनी गहरी बात आपने सरलता से समझाई है...बधाई स्वीकारें
    नीरज

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया ... मन पर पड़ा आवरण हटाये बिना खुद तक नहीं पहुंचा जा सकता ..

    ReplyDelete
  3. शुक्रिया जी |

    ReplyDelete