Monday, November 19, 2012

राम नाम सत्‍य है

देश के सबसे बड़े शहर बम्‍बई में
उसका जनाजा निकला
जिसमें शामिल हुए लाखों लोग
महानगरी के तीन बड़े बंदर भी -  
फिल्‍म , बिजनेस और पालिटिक्‍स के ,   
वह वाकई बहुत पॉपुलर था
उसे नकारा बिल्‍कुल नहीं जा सकता
कार्टून से गुदगुदाता होगा कभी
पर जब से मैंने उसे पढ़ा-सुना
वह कलम से तलवार और बाण चलाता था
वाणी से बस जहर और आग उगलता था
हमेशा कड़वाहट भरी तीखी बातें बोलता था
हिटलर उसका रोल मॉडल था
सब को डराता था , खुद नहीं डरता था
अपनी बनाई सेना को
कमांडर की तरह
कत्‍लेआम के लिए हुक्‍म देता था
हिंसा के लिए भड़काता और उकसाता था
चाहें आतंकवादी न कहें हम उसे
वह नहीं था अलग उस प्रजाति से
जिसमें रखेगा इतिहास
भिंडरावाला, ओसामा या जार्जबुश को ,
क्षेत्रीयवाद का हिमायती था
वह रखता था दिल में
हिंदुस्‍तान से ऊपर हिन्‍दू को
राष्‍ट्र से ऊपर महाराष्‍ट्र को
पाकिस्‍तान को पड़ोसी नहीं
भारत का दुशमन मानता था,
उसकी नजर छोटी थी
वह संस्‍कृति की दुहाई देता था
पर दलितों का घोर विरोधी था
नरक कौन जाता हे मरने के बाद
मैं यह तो नहीं जानता ठीक से
पर जो स्‍वर्ग भोग चुका हो धरती पर
उसे अब मै स्‍वर्गवासी नहीं कह सकता
खूब शान-शौकत से रहता था
वाइन, बीयर और सिगार की चुस्कियां लेते हुए
रिमोट से सरकार चलाता था
वह किंगमेकर-बिगबॉस- डॉन था
अहंकारी था रावण की तरह
पर वह कट्टर रामभक्‍त था
उसे किसी की परवाह नहीं थी
खुद को कानून से ऊपर मानता था
वह बकैत था , वह जुनूनी था , वह अराजकतावादी था !
किसी की मौत पर रोने में कोई हर्ज नहीं है
पर मीडिया जब उसे शेर बनाने में लगा हो
तो सिक्‍के का दूसरा पहलू रखना
मैं अपना फर्ज समझता हूं
उसे राजकीय सम्‍मान क्‍यूं दिया गया ?
जिसने संविधान की जमकर धज्जियां उड़ाईं
जिसने समाज में दहशत और नफरत फैलाई
जिसने कोर्ट और पुलिस का मजाक बनाया
तर्जनी दिखाकर सबको धमकाया-सहमाया
मैं भली-भांति जानता हूं यह शिष्‍टाचार कि
किसी की विदाई पर उसकी तारीफ ही करनी चाहिए
पर क्‍या करूं -   मुझे रात भर परेशान किया
उस भगवाधारी प्रेत ने
जो अपनी अजीब विकारधारा लेकर
छाया रहा समाज में किसी साये की तरह
वह खुद तो अपनी शर्तों पर जीता था
पर दूसरों के जीने के लिये शर्तें रखता था
उसने कभी नहीं लिखा-कहा
गरीबी- महंगाई- भ्रष्‍टाचार के खिलाफ
या महाराष्‍ट्र के किसानों की खुदकुशी के बारे में
वह तो पाकिस्‍तान-वेलेंटाइन-गैरमराठी जैसे  
बड़े मुद्दों में उलझा रहा
सियासत का नया मॉडल रच गया
नफरत का जो बीज लगा गया
क्रिक्रेट की पिच खोदकर
उसको हमारी चुप्‍पी से
फसल उगलने में मदद मिलेगी
इसलिए मुझे लिखना जरूरी लगा
इसे श्रद्धांजलि समझो या न समझो
उसकी आत्‍मा को भगवान शांति दें
कैडर को सदभाव के लिये दिशा दे ।

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