Friday, July 1, 2011

सीखना - सिखाना

नर्सरी स्‍कूल की
नई-नवेली मैडम
लिखवा रही थी
नन्‍हें बच्‍चों से
कर्सिव राइटिंग में
अंग्रेजी के अल्‍फाबेट्स
डांटती हुई झुंझलाकर
’ क्‍यूं नहीं घुमा पाते
लाइन डस तरह
जैसे मैं बताती हूँ ’
मन हुआ कहूँ
उस शिक्षिका को :
जरा तुम भी
लिखकर तो देखो
उर्दू के हिज्‍जे :
किसी के लिए
बाएं हाथ का खेल
दूजे को
दाएं हाथ का खेल भी
नहीं लगता है ।

गुजर चुके हम
जिन कक्षाओं और परीक्षाओं से
वो हमें आसान लगते है
दूसरों को समझाते हुए ,
पर बहुत मुश्किल होता है
कुछ भी नया सीखना
जो हमें नहीं आता
चाहे रोटी पकाना
चाहे कपड़े धोना
चाहे साइकिल चलाना
या फिर
बच्‍चों जैसा
सच्‍चा बनना ।

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