Friday, July 9, 2010

मां होने का दर्द

शरीर पर सिम्‍पटम उभरने लगे हैं
उसे पता है
इस असाध्‍य बीमारी के बारे में-
वो कैंसर से पीडि़त है !

कैसे सपने आते होंगे उसको
रात में नींद उचटने पर
क्‍या होता होगा उसके मन में
अस्‍पताल में थिरेपी के दौरान
या हाल पूछे जाने पर
उसकी तबीयत का
सहकर्मियों द्वारा
सहानुभूति के तौर पर।

कभी सोचती हूँ
फांसी लगने की तारीख
तय हो जाए
और कैदी को बता दी जाए
तो वो कैसे जीता होगा ?
: पल-पल को
शिद्दत से या बेचैनी में
- काउंट डाउन की तरह।

उसे देखकर मुझे कष्‍ट होता है
मैं कुछ कह नहीं पाती
बस ममता में दुआ करती हूँ
बारगेन कर ले
मुझे उठाकर दुनिया से
हे ईश्‍वर !
मेरे बेटे को स्‍वस्‍थ कर दे।

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