काटता है
पहनने पर
नया जूता
पैरों को ,
महसूस होता हे
अजीब-सा
चलने में ।
फिर…..
पड़ जाती है
आदत
कुछ दिनों मे
इतनी कि
उन्हें उतारने का
मन नहीं करता !
एडजस्ट हो जाता है
थोड़ा पैर - थोड़ा जूता
सेट करते हुए चाल
फटने की हद तक
घिसते हैं
पुराने जूतों को ,
वो हमें चलातें है
हम उन्हें चलातें हैं !
Monday, November 28, 2011
Thursday, November 17, 2011
ग्यारह बजे की रस्म
लेते हैं हम
शपथ
हर साल
खास दिन पर
दो मिनट सीधे खड़े होकर
दोहराते हुए
कागज पर लिखे शब्द -
ईमानदार रहने की
सच बोलने की
शांति-सदभाव की
निडर रहने की
निष्पक्ष रहने की -
फिर……..
भूल जाते है
ऐन वक्त
इम्तहान आने पर
सब कसमें और वायदे
प्रैर्क्टीकलिटी की
देते हुए दुहाई ,
खुद को और खुदा को
धोखा देने का
बढिया और आसान
तरीका
मिल गया है
हमें ।
शपथ
हर साल
खास दिन पर
दो मिनट सीधे खड़े होकर
दोहराते हुए
कागज पर लिखे शब्द -
ईमानदार रहने की
सच बोलने की
शांति-सदभाव की
निडर रहने की
निष्पक्ष रहने की -
फिर……..
भूल जाते है
ऐन वक्त
इम्तहान आने पर
सब कसमें और वायदे
प्रैर्क्टीकलिटी की
देते हुए दुहाई ,
खुद को और खुदा को
धोखा देने का
बढिया और आसान
तरीका
मिल गया है
हमें ।
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