Friday, February 22, 2013

डिस- ज्‍वांइट फैमिली

हमारे परिवार में सिर्फ चार सदस्‍य हैं
हम सब अकेले अलग जगह रहते हैं
मेरा ऑफिस है राजधानी दिल्ली में
मैडम जी बुटीक चलाती हैं मुम्‍बई में
बेटी आईटी सेक्टर में है बंगलौर मै
बेटा एमबीए करता है कोलकता में
चारों दिशाओं पर है परिवारी कब्‍जा
सही चाहे आपस में गहरा जज्‍बा ,
हम मोबाइल- नेट पर ही जुड़ पाते हैं
टीवी पर एक ही सीरियल देखते हुए
रिमोट से ही डिनर साथ कर लेते हैं
अकेलापन हम सबको ही अखरता है
पर क्‍या करें फैमिली की खातिर ही
हमें अकेले अलग जगह रहना पड़ता है ;
किसी के पास वक्‍त नहीं कहानी सुनाने का
ही बच्‍चे अब किसी की कहानी सुनते हैं
सब अपने आप में मस्‍त और व्‍यस्‍त हैं
घर में कभी
जब इकठ्ठे हो भी जायें सभी
तो टीवी के रिमोट के लिये
लड़ाई ही होती है
इसलिये दूर से ही
सबका हालचाल पूछ लेते है
इस तरह हम जैसे तैसे
परिवार निभा लेते हैं
सोचकर अपने मन को
थोड़ा सुकून देते हुए कि
हालत तो अभी और खराब होगी
हर शख्‍स और भी अकेला होगा
किसी की बुआमौसी नहीं होगी
कोई मामाचाचा के बिना होगा



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