झील के किनारे खड़ा
डूबने की सोचता हुआ
जैसे ही वो थोड़ा नीचे उतरा
इक नन्हीं मीन
उसके बड़े पैरों में
उलझ गई
वो नीचे झुका और
मछली को हाथ मे उठाते हुए
दार्शनिक अंदाज में बोला
“ जा ! मैं तुझे जिंदगी बख्शता हूँ “
जैसे ही उसने मीन को
हवा में उछाला
जिजीविषा चीख उठी :
मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ उर जायंगी
बाहर निकालो मर जायेगी
मन से निराश मैन को
मीन ने फलसफा दिया
सबके जीवन की कुछ खास वजह है
सबके लिए कुदरत में खास जगह है
और वो
मीठी धरती की
कसैली मिट्टी में
खेलने के लिए
फिर ऊपर आ गया।
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सबके जीवन की कुछ खास वजह है
ReplyDeleteसबके लिए कुदरत में खास जगह है
-बढ़िया..
शिक्षाप्रद कविता...
ReplyDeletebahut khoobsurt
ReplyDeletemahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
अपनापन छूता है । सप्रेम,
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