वो जब रूठ जाती थी
तो खाना छोड़ देती थी
यह उसका तप था या जिद
मुझे नहीं मालूम
पर मुझे लगता है
लोग व्रत रखते हैं
दिखावे और भुलावे में
यह जानते हुए कि
रोटी तो मिल ही जाएगी
व्रत की सीमत अवधि के बाद ,
संयम तो उसका है
जो दिन भर भूखा रहा
और शाम के भोजन का
कुछ भी पक्का नहीं है ,
डेली वेज पाने को
कल काम मिलेगा
नून तेल लाने को
कोई गारंटी नहीं है।
शौक हैं अमीरों के :
छतरी हाथ मे झुलाते हुए
बरसात में भीगना,
कार में से उतरकर
मॉर्निंग वॉक के लिए
पार्क के चक्कर लगाना
या फिर रोड के लैफ्ट साइड में
लिफ्ट की उम्मीद लिए
पैदल निकलना
ऑफिस के लिए :
वो प्रयोग कर रहे हैं
योग के नाम पर
गरीब तो घट रहा है निरंतर
घटना के नाम पर।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
nice
ReplyDeleteडेली वेज पाने को
ReplyDeleteकल काम मिलेगा
नून तेल लाने को
कोई गारंटी नहीं है।
....सुन्दर अभिव्यक्ति.
main aapki rachna ko pahli bar padh raha hun... bahut hi achhi rachna hai ji!!
ReplyDelete