Thursday, August 12, 2010

उपवास की बकवास

वो जब रूठ जाती थी
तो खाना छोड़ देती थी
यह उसका तप था या जिद
मुझे नहीं मालूम
पर मुझे लगता है
लोग व्रत रखते हैं
दिखावे और भुलावे में
यह जानते हुए कि
रोटी तो मिल ही जाएगी
व्रत की सीमत अवधि के बाद ,
संयम तो उसका है
जो दिन भर भूखा रहा
और शाम के भोजन का
कुछ भी पक्‍का नहीं है ,
डेली वेज पाने को
कल काम मिलेगा
नून तेल लाने को
कोई गारंटी नहीं है।
शौक हैं अमीरों के :
छतरी हाथ मे झुलाते हुए
बरसात में भीगना,
कार में से उतरकर
मॉर्निंग वॉक के लिए
पार्क के चक्‍कर लगाना
या फिर रोड के लैफ्ट साइड में
लिफ्ट की उम्‍मीद लिए
पैदल निकलना
ऑफिस के लिए :
वो प्रयोग कर रहे हैं
योग के नाम पर
गरीब तो घट रहा है निरंतर
घटना के नाम पर।

3 comments:

  1. डेली वेज पाने को
    कल काम मिलेगा
    नून तेल लाने को
    कोई गारंटी नहीं है।
    ....सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  2. main aapki rachna ko pahli bar padh raha hun... bahut hi achhi rachna hai ji!!

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