Thursday, March 11, 2010

5 कविताएं बच्‍चों की

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मेरी अभिलाषा
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सुखी रहें सभी धरती पर
यह है मेरी अभिलाषा
रोटी, कपड़ा मिले सभी को
यह है मेरी अभिलाषा
हर बच्‍चे को मिले पढ़ाई
यह है मेरी अभिलाषा
कभी न हो कहीं लड़ाई
यह है मेरी अभिलाषा ।
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मेरा घर
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थक कर आती हूँ
जब मैं बाहर से
देता है आराम
मुझे मेरा यह सुंदर घर।
पढ़ने जब मैं जाती हूँ
रहता हर पल
मन में मेरा घर
छुटटी होते ही दौड़ पड़ती
मैं अपने घर।
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मेरे पापा
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देखती हूँ सुबह उठते ही
पापा को
जो लगे होते हैं तैयारी में
मुझे स्‍कूल ले जाने को।
प्‍यार करते मुझे मेरे पापा
कभी डांट भी देते
पर जब नहीं होती मैं घर
याद करते मुझे हर क्षण
मम्‍मी से करते बातें
मेरे सपनों की
मेरे पापा को फिक्र है मेरी
अपने से भी अधिक।
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मेरा परिवार
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ममता से भरी मॉं
प्‍यार से भरे पापा
छोटी बहिना
और नन्‍हाँ – सा भैया,
यह है मेरा परिवार
और हॉं ! एक दादी भी है
जो मुझे समझाती हैं हमेशा
अपने वक्‍त की बातें
और रोज सुनाती हैं
किस्‍से – कहानी
सोने से पहले।
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मैं भारत का बेटा हूँ
नाम है मेरा रजत सिन्हादेश
की खातिर लड़ूँगा
मैं जैसे लड़े सूरमा भगत सिंह।
गुरुनानक के प्‍यारे हैं हम
हमें अमन ही भाता है
पर हमको कमजोर न समझो
लड़ना भी हमको आता है
टूट पड़ेंगे दुश्‍मन पर
बन कर हम गोविंद सिंह

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