खुशामद और मिन्नत हो रही थी-
‘ हमारे घर भी आ जाना बिटिया
सुबह थोड़ा सा वक्त निकालकर '
आ गई वो नौ सहेलियों को लेकर
कई घरों से भोग लगाकर आईं
झुग्गीबस्ती में रहने वाली
उन बच्चियों ने
सिर्फ एक-दो पूरियां ही खाई
बाकी पैक कर लीं घर के लिए
शायद : शाम और कल के लिए
विदा हो गईं कंजकें
थाली और पैसे लेकर,
देवियों की पूजा भी हो गई
नौरातों के व्रत भी पूरे हो गए
कल उनमें से कोई बच्ची
सड़क पर हमें मिल जाये और
हाथ जोड़कर रामराम करे तो
शायद ही हममें से कोई
उसे जवाब दे !
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