Wednesday, December 12, 2012

12.12.2012

बारहवें महीने की
बारह तारीख को
ठीक बारह बजकर
बारह मिनट और
बारहवें सेकेंड में
अगर डिलीवरी हो भी गई
तो क्‍या जादुई हो जायेगा
वो नवागन्‍तुक शिशु
या कोई मर गया
ऐन इसी वक्‍त
तो वो तथागत हो जायेगा
दुनिया न जाने कब बनी थी
न जाने कब तक चलेगी
पर दुनिया के अचानक
लुप्‍त हो जाने की खबर
रोमांच पैदा नहीं करती
बस अपना दिल बहलाने को
इक्‍कीसवीं शताब्‍दी में
बारहवीं शताब्‍दी की सोच का
यह खयाल अच्‍छा लगता है ।

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