Saturday, March 24, 2012

चढ़ते सूरज को सलाम

जब वह स्‍कूल में पढ़ता था
तो रोज उसे डांट पड़ती थी
क्‍लास में ऊटपटांग सवाल पूछने के लिए
होमवर्क गलत- अधूरा करने के लिए
प्‍लेग्राउंड में ज्‍यादा वक्‍त बरबाद करने के लिए
उसे चेतावनी भी मिली
कम हाजिरी के लिए ,
इतने ना - लायक छात्र का
फोटो सुशोभित है अब
स्‍कूल के मुख्‍यद्वार पर
जिसे फांदकर
वह चला गया था
मैच खेलने
इक दोपहर और फिर मुड़कर
उसने कभी नहीं देखा
स्‍कूल का मुंह
जिसे उस पर है नाज
जो छाया है आज
मीडिया की सुर्खियों में
गोल्‍फ चैम्पियन बन कर ,
किंतु कहावत आज भी सुनाई देती है
स्‍कूल के गलियारों में -
” पढ़ोगे लिखागे बनोगे नवाब
खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब “

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