Friday, January 6, 2012

मां

कल रास्‍ते मे मुझे
मिला एक आदमी
हट्टा - कट्टा नौजवान
लेकिन चेहरे से परेशान ।
घबराया हुआ सहमा हुआ
मिट्टी में कुछ टटोल रहा था ,
इधर- उधर डोल रहा था
मन ही मन कुछ बोल रहा था ।
मैंने पूछा - कुछ गुम हो गया क्‍या
हाँ , बहुत ही कीमती चीज ।
रूपया पैसा ? नहीं
उससे भी कीमती चीज
सोना चांदी ? नहीं
उससे भी कीमती चीज
हीरे मोती ? नहीं
उससे भी कीमती चीज !
यह कीमती चीज क्‍या हो सकती है
सोच-सोच कर मैं हैरान थी , और
खोज- खोज कर वह परेशान था ।
मैने कहा –
कुछ तो बतलाओ
पहेलियां मत बुझाओ
वह बोला - कैसे बतलाऊं ?
मेरी तो जुबान ही सुन्‍न हो गई है क्‍योंकि
मेरे ही घर से मेरी मां गुम हो गई है ।
‘ मां ‘ का नाम सुनते ही
मैं स्‍तब्‍ध रह गई
मूर्ति की भांति वहीं
जमीन में गढ़ी रह गई ।
सचमुच मां तो बहुत ही अमूल्‍य है
इसका न कोई तुल्‍य है
मैने पूछा-
अब घर में और कौन कौन हैं ?
वह बोला -
मेरी सौतेली मां और स्‍वार्थी बहन-भाई
मेरे ही घर में इन्‍होंने
विदेशी औरत को जगह दिलाई
इतना ही नहीं - मेरी बूढ़ी मां की
खिल्‍ली भी उड़ाई ।
उसे तो बडों का आदर सम्‍मान ही नहीं
छोटों को भी you ( तुम ) और
बडों को भी you (तुम ) कहती है
मामा हो या चाचा , मौसी हो या बुआ
सभी को अंकल-आंटी कहती है
मेरी मां तो बहुत तहजीब वाली है
उसकी तो हर बात निराली है
छोटों को भी आप , बड़ों को भी आप कहती है
धनवान हो या फकीर , सबके साथ
मिलजुल कर रहती है
मैने कहा अच्‍छा अब यह तो बताओ
तुम्‍हारी मां दिखने में कैसी है
उसका नाम क्‍या है ? और
उसकी पहचान क्‍या है ?
वह बोला
मेरी मां भले ही बूढ़ी है , लेकिन
अभी भी खूबसूरत है ,
हिन्‍दोस्‍तान को उसकी बहुत ही जरूरत है
उसके माथे पे गोल बिन्‍दी है
वह हम सबकी राष्‍ट्रभाषा है और
उसका नाम हिन्‍दी है ।
( लक्षविन्‍दर जी की एक कविता जो अपने ब्‍लाग पर लिख रहा हूं पढ़वाने के लिए )

1 comment:

  1. हिन्‍दोस्‍तान को उसकी बहुत ही जरूरत है
    उसके माथे पे गोल बिन्‍दी है
    वह हम सबकी राष्‍ट्रभाषा है और
    उसका नाम हिन्‍दी है ।


    वाह...क्या अद्भुत रचना है...लाजवाब

    नीरज

    ReplyDelete