Monday, October 18, 2010

पहेली सुलझ गई

झील के किनारे खड़ा
डूबने की सोचता हुआ
जैसे ही वो थोड़ा नीचे उतरा
इक नन्‍हीं मीन
उसके बड़े पैरों में
उलझ गई
वो नीचे झुका और
मछली को हाथ मे उठाते हुए
दार्शनिक अंदाज में बोला
“ जा ! मैं तुझे जिंदगी बख्‍शता हूँ “
जैसे ही उसने मीन को
हवा में उछाला
जिजीविषा चीख उठी :
मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ उर जायंगी
बाहर निकालो मर जायेगी
मन से निराश मैन को
मीन ने फलसफा दिया
सबके जीवन की कुछ खास वजह है
सबके लिए कुदरत में खास जगह है

और वो
मीठी धरती की
कसैली मिट्टी में
खेलने के लिए
फिर ऊपर आ गया।

अंधा कानून

सुनकर ऐतिहासिक फैसला
जमीन के बॅटवारे का
मुझे डर लगने लगा है
अपने घर मे रखी
किताबे और फोटो
देखते हुए ।
कुरान है , अंबेडकर हैं
गांधी हैं, रामायण है :
कितने टुकड़े कर देगी कोर्ट
मेरे छोटे से उस कमरे के
यदि मुझ पर मुकदमा
ठोक दिया मजहबियों ने
या फिर कर लेगी मुझे गिरफ्तार
पुलिस
गैरजमानती वारंट जारी करते हुए
मार्क्‍स-माओ के वैचारिक ग्रंथों की
लाल जिल्‍द को सबूत बनाकर
नक्‍सली का लेबुल लगाकर
और कोर्ट राष्‍ट्रहित में
पॉच हजार पृष्‍ठों का
ऐतिहासिक फैसला लिखकर
मुझे फांसी पर चढ़ा देगा !

Thursday, October 7, 2010

खबरदार ! बरखुरदार

क्‍यूँ भटकते हो
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों पर ?
सीधी राह पर चलो,
ओवरब्रिज पर चढ़कर
प्‍लेटफार्म पार करो
रेल की पटरियों को
क्रॉस करते हुए
क्‍यूँ डालते हो
अपनी जान
जोखिम में ?

नियमों को ठीक से
लागू करते हुए फाइल पर
सही फैसले लो
पक्षपात करने के लिए
तथ्‍यों को तोड़-मरोड़कर
क्‍यूँ लिखते हो ?
ऐक्‍सीडंट से बचने के लिए
मशीन और मानव की
व्‍यवस्थित सुरक्षा को
बाई-पास मत करो ।

कुंजी और गाइड पढ़कर
बोर्ड का एक्‍जाम तो
जैसे-तैसे पास कर लोगे
कम्‍पटीशन में क्‍या होगा ?
औरों को धोखा देकर
अपनी आंखों को धूल से
कब तक बचाओगे ?

शॉर्टकट के चक्‍कर मे
जीवन की नैसर्गिक लय को
कट-शॉर्ट मत करो
सावधान !
लेवल-क्रासिंग का गेट बंद है
ट्रेन आने वाली है ।